Roop Kumar
मन के संकल्प-विकल्प की विलक्षण "गुफ़ाएं"
11:41
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देहाभिमान 'समुद्र',कर्ममय प्रवृत्ति 'लंकादुर्ग',हमारामन 'मयदानव',हमारे मन के संकल्प ही 'मायावी' हैं।
16:48
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🌹श्रीलक्ष्मणजीकी वाणी का रहस्य और🌹भगवानपरशुराम🙏का मद,मोह,क्रोध,और भ्रम का नष्ट होना।
14:25
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ससीम में भेद हो सकता है पर,असीम में सब बराबर हैं।
3:55
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🌹ईश्वर🙏और 'जीव' की "दृष्टि" में अन्तर है।
6:37
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दुःख ममता की मात्रा पर होता है,वस्तु की मात्रा पर नहीं होता।समस्या ममत्व की है।
14:41
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दूसरे का अधिक सुख ही,हमारा अधिक दुःख बन जाता है।
12:55
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विपत्तिमें भी "धैर्य धारण" कैसे करें,यह🌹भगवानश्रीराम🙏ने चरितार्थ करके हमें दिखाया।
8:51
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हमारे मन में जो होता है,उसके आगे, हम वह नहीं सुन पाते जो,--वास्तविक होता है।
22:09
Roop Kumar
ये "कर्म" का "कैसा" सिद्धान्त है?
7:25
Roop Kumar
धर्मपरायण व्यक्ति के जीवन में भी विपत्ति आती है कि नहीं?
14:14
Roop Kumar
क्या धर्म का पालन करनेवाले व्यक्तियों के जीवन में कभी प्रतिकूलता,विपत्ति नहीं आवेगी?
5:39
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धर्म के पीछे हमारी केवल मात्सर्य और लालसा की वृत्ति होगी तो हमारा पुण्य नष्ट हो जाएगा।
6:58
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दिखाई देने वाली क्रिया के पीछे हमारी वृत्ति,क्रिया,उद्देश्य क्या है,इसका बड़ा महत्व है।
13:24
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समाज में बिरले ही व्यक्ति धर्मात्मा होते हैं और बिरले ही व्यक्तियों की भक्ति मात्सर्यरहित होती है
16:18
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सात्विक बुद्धि भी विचलित हो जाती है,तब सत्संग के द्वारा ही उसमें समर्पण और श्रृद्धा का उदय होता है।
24:53
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"धर्म और धर्म का अभिमान"(कर्ण)
17:21
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🌹भवानी शंकरौ वन्दे,🙏श्रृद्धा विश्वास रूपिणौ🌹🙏
12:42
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🌹भगवानशंकर🙏की "कठोरता में भी कृपालुता"🌹🙏
10:35
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हमारे "मन का दण्डकारण्य" शापित क्यों है?
8:48
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वैराग्य(🌹लक्ष्मणजी🙏) की बनायी कुटिया में 🌹राग की लीला।🙏
6:36
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यदि "बुद्धि की भूमि" में 🌹रामराज्य🌹नही बन सकता तब "रामराज्य" कैसे और कहाँ बन सकता है?
6:18
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🌹कथा🙏के "श्रोता और वक्ता" दोनों ही दुर्लभ हैं।
17:48
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🌹ब्रम्हा🙏की सृष्टि रचना "द्वन्द्वात्मक" है।
7:05
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"धीरता के तत्व" को जीवनमें पा लेना,"सफलता का और जीवन के विवेकमय क्षणों का" सबसे बड़ा "सदुपयोग" है।
14:47
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🌹गुरू बृहस्पति और दैत्यगुरू🌹शुक्राचार्य🙏में "उपदेश"और "दृष्टि" का क्या अन्तर है?
18:44
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"सुख और दुख","सम्पत्ति और विपत्ति"-अर्थात, "प्रत्येक परिस्थिति में" हम "धैर्य" कैसे धारण करें?
12:12
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"समत्व"💐ही जीवन का सर्वश्रेष्ठ तत्व है।
10:12
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🌹🙏करूणानिधान🌷🙏 शब्द का "अन्तरंग तात्पर्य" क्या है?
33:50
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अन्त:द्वन्दसेमुक्ति,कामकाजऔर ईश्वर- दोनोंकानिर्वाह,मूर्तिपूजाका रहस्य,ये🌹श्रीसीताजी हमें सिखाती हैं।
12:52
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भक्तों को🌹भगवान को पाने🙏की पद्धति का संकेत।
8:40
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🌷श्रीसीताजी🙏और🌹भगवानश्रीराम🙏का "चरित्र और लीला" पढ़ने से हमारा चरित्र "स्वच्छ" हो सकता है।💐
12:40
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🌹ईश्वर को पाने के बाद उसको भीतर बन्द कर लीजिए।🙏कपाट सर्वत्र रक्षा करता है।
13:06
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🌹ईश्वर के अन्वेषण की,🌷ईश्वर को देखने की कौन सी दृष्टि चाहिए?🙏
7:39
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🌹गोस्वामीजी🙏ने अगर "श्रृँगाररस का वर्णन" किया तो "विदेहनगर" में ही क्यों किया?
10:41
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भावना हृदयकी वस्तु और मर्यादा शरीरकी वस्तु है और उनदोनों के बीचमें तालमेल बैठानेका माध्यम बुद्धि है।
11:52
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🌹भगवानश्रीराम🙏की मर्यादा,साधना का पक्ष और🌷तुलसीदासजी🙏का क्रमभंग।
10:12
Roop Kumar
क्या🌹गुरू🙏की आवश्यकता है?गुरू की भूमिका क्या है?गुरु के चरणों का आश्रय लेने से क्या होता है?
14:57
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"मर्यादा और भावना का सामञजस्य",पूरे🌹श्रीरामचरितमानसमें🌷इसी समन्वयका दर्शन आपको मिलेगा।
9:09
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उत्कंठा जाग्रत होना ही कथा का सबसे बड़ा उद्देश्य और फल है।
11:47
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🌹भगवान के चरणों में प्रेम🙏 कैसे हो?क्या इसके लिए स्थान का महत्व है?अथवा कुछ और मार्ग है?
18:47
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🌹तत्वप्रेम कर मम अरू तोरा,जानत प्रिया एकु मनु मोरा।
18:40
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🌹जगज्जननीश्रीसीताजी🙏 संसारके साधकोंको उँगली पकड़कर,🌹"भगवान को पाने के लिए" चलना सिखाती हैं।
10:51
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🌹लक्ष्मणजी🙏की 🌹श्रीसीतारामजी के चरणों में प्रीति🙏और भक्तिसाधना का स्वरूप।
11:54
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🌹पुष्पवाटिका🌷 प्रसंगमें वेदान्तका तत्व,भक्ति की पराकाष्ठा,शरणागति आदि का विलक्षण रूप मिलता है।
10:31
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भक्तिके भी दो रूप हैं🌹"कृपारूपा भक्ति"🙏और🌷"साधनामयी भक्ति"🙏।
9:34
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परिवर्तन🌹ईश्वर के द्वारा नहीं होता,हमारी🌹ईश्वर के प्रति की गयी भक्ति🙏 के द्वारा होता है।
13:21
Roop Kumar
बुद्धि के शोधन की प्रक्रिया क्या है?
13:58
Roop Kumar
सो अनन्य जाकें असि, मति ना टरइ हनुमंत।मैं सेवक सचराचर,रूप स्वामि भगवंत।।
21:21
Roop Kumar
🌹श्रीसीताजी🙏को पाने का मार्ग क्या है? उस मार्ग पर की जाने वाली यात्रा किस प्रकार है?
17:03
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बुद्धि की उड़ान,सूक्ष्मता,पैनी दृष्टि का सदुपयोग और सार्थकता क्या है?
21:02
Roop Kumar
प्रनवहुँ परिजन सहित बिदेहू,जाहि रामपद गूढ़ सनेहू।जोग भोग मह राखेउ गोई,राम बिलोकत प्रगटेउ सोई।।
4:41
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व्यक्ति के जीवन में पूर्णता कब आती है?
14:29
Roop Kumar
🌹🙏माता श्रीसीताजी🌻 का "करूणा का पक्ष और स्वरूप"🙏
3:33
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महाभारत की कथा क्रिया और प्रतिक्रिया का युग है।
6:53
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🌺द्रौपदी यदि नर की पत्नी हैं तो🌹श्रीसीताजी🙏🌹नारायण🙏की प्रिया🌷 हैं।
4:21
Roop Kumar
शरीर का नाता और भाव का नाता क्या है?"सकामता का नाता"और "निष्कामता का नाता"क्या है?
4:28
Roop Kumar
रामायणमें ज्ञान,वैराग्य,अकाल,वर्षा-क्या तात्पर्य है?व्यक्तिके जीवनकीभूख मिटानेकी सामर्थ्य किसमें है?
12:44
Roop Kumar
सकामता श्रेष्ठ है कि निष्कामता श्रेष्ठ है?
8:11
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निष्कामता प्रत्येक व्यक्तिके जीवनमें सम्भव है क्या?निष्कामताका नाटककरने वालेतो समाजमें बहुतहोते हैं।
16:55
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भक्तलोग 🌹भगवान🙏का वही नाम रखते हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
13:38
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वेदान्तमें कहा गया है कि ब्रह्म दृष्टा,कूटस्थ,स्थिर,सर्वत्र है,लेकिन-विरागी है,उसे पिघलाया कैसे जाए?
14:01
Roop Kumar
🌹आदिशक्तिश्रीसीताजी🙏स्वंय तो करूणामयी हैं ही पर🌹प्रभुश्रीराम🙏में भी करुणा की सृष्टि करती हैं।
9:52
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मानवीय पद्धतिसे🌹🙏"आदिशक्तिश्रीसीताजी🌹का जन्म नहीं हुआ,पृथ्वी से हुआ। स्थूलपदार्थ में भी शक्ति है।
11:48
Roop Kumar
अगर 🌹महाराज मनु🙏को "मानवजातिका रचयिता" माना जाता है तो फिर "महाराज मनु का रचयिता" कौन है?
15:48
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विश्व की रचयिता कौन?🌹🙏आदिशक्ति जेहिं जग उपजाया🙏महाशक्तिमाता श्री सीताजी।🌹
18:58
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जब🌹श्रीसीताजी प्रसन्न होती हैं तो व्यक्ति को "निर्मल मति" देती हैं🙏🌹
18:03
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🌹🙏श्रीसीताजी के परिचय की पृष्ठभूमि।
19:33
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अहँकार पर निरहँकारिता से विजय होती है।अहँकारी निरहँकारिता का अर्थ ही नहीं जानता।
48:51
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हमारेमन,बुद्धि और अहँकारसे जोकुछ होताहै,उसकेपीछे "हमारेसंस्कार" होतेहैं जोहमारे "चित्त"में होते हैं।
15:41
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बुद्धि चैतन्य कैसे होगी?बुद्धि तो बार बार धोखा खाती है।इसकी दवा क्या है।
14:13
Roop Kumar
🌹तुरीय और ब्रम्ह🌹🙏🌷के मिलन से जीवन में परम शान्ति और कृत्कृत्यता का अनुभव होता है।
22:50
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भोगी व्यक्ति कितना भी पा ले पर उसको सन्तोष नहीं होता।
5:02
Roop Kumar
🌹भगवानशंकर🙏 कहते हैं कि "थोड़ा मत माँगना" इसका क्या तात्पर्य है?
7:52
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महाराज जनक का मण्डप "जीवका हृदय" है जिसके "चार खम्भे" हैं-मन,बुद्धि,चित्त और अहँकार।
28:21
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जनु पाए महिपाल मणि,क्रियन्ह सहित फल चारि🌹🙏
10:52
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दुराशा,दु:ख,दोष तब मिटेंगे जब हम🌹भगवानका आश्रय🙏 लेंगे।🌷भगवानको पहचान🙏लेंगे।
5:04
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हम भक्त हैं कि नहीं? कसौटी क्या है?🌹मोर दास कहाई नर आसा,करइ तो करहु कहाँ बिस्वासा।
15:53
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अगर आप🌹रामायण🙏का पूराआनन्द लेना चाहें तो भाषा,अर्थ,भाव का आनन्द लें तथा तात्पर्य को हृदयंगम करें।
13:34
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कौतुक,बिनोद,प्रमोदु प्रेमु ना जाइ कहि जानहिं अली। 🌹🌸🙏(कोहबर प्रसंग)
19:26
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पुरुष सिंह दोउ बीर हरषि चले मुनि भय हरन। कृपासिंधु मतिधीर अखिल बिस्व कारन करन॥🌹🙏
34:56
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पुत्र और पुत्री ये दोनों सकामता और निष्कामता से किस प्रकार जुड़े हैं?
17:10
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🌹श्रीसीतारामाविवाह💐निष्काम और सकाम दोनों तरह के व्यक्तियों को "परमानन्द" देनेवाला है।
18:16
Roop Kumar
हम बुराइयों से क्यों नहीं बच पा रहे हैं?हम किस भावना से प्रेरित होकर व्यवहार करते हैं?
13:55
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अपनी ही बनायी मायाके मोहबन्धनमें व्यक्ति फँसाहुआ है।"मैं और मेरा" समाजमें समस्याएं उत्पन्न करता है।
40:22
Roop Kumar
भक्ति का उदय अपनेआप में अभाव देखकर होता है और वो जीवन में बदलाव लाता है।
11:04
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गोस्वामीजीने🌹श्रीराम🌹से कहा कि विश्वामित्रजीकी "यज्ञरक्षा" की तरह आप मेरे यज्ञकी भी रक्षा कीजिए।🙏
23:10
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यज्ञ की भावना क्या है?लेने-देने में संकोच या अभिमान?"यज्ञचक्र" क्या है?
14:47
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अपनी कामनाओं को हम सही दिशा दें और वे कामनाएं हमारे लिए और समाज के लिए कल्याणकारी हों।
13:06
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सरजूनाम सुमंगलमूला,लोकवेदमत मंजुलकूला।।रामकथा के दो किनारे हैं-लोकमत और वेदमत।
19:57
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हमें यदि🌹भगवान🙏को पाना है तो हमें अपनी "सकामता को यज्ञ से जोड़ना" है।
18:58
Roop Kumar
निष्कामता,दम्भ,और कपट-- हमें जीवन में मिथ्याचार से सर्वदा बचना चाहिए।
11:35
Roop Kumar
"तुरिया अवस्था" का आनन्द कैसे मिलेगा?इसका क्या उपयोग करना चाहिए-यह🌷रामविवाह🌷का तात्पर्य है।
7:46
Roop Kumar
🌹श्रीसीतारामविवाहमें🌷 योग,दर्शन,वेदान्त,लोकमंगल, भक्तिभावना,धर्म आदि,सबका सांमजस्य है।
12:27
Roop Kumar
मनुष्यजीवनको संस्कारोंके साथ जोड़ दिया गया है।उन संस्कारोंमें विवाहका संस्कार अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
12:46
Roop Kumar
साधना का अभिप्राय-"कथा" कान से,जिह्वासे🌹रामका "नाम",नेत्र से🌹श्रीरामके🙏"रूप का ध्यान"।
20:17
Roop Kumar
मंगल और अमंगल संसारकी वस्तुओंमें देखना व्यर्थ है,हृदयमें प्रभुको धारण करें,और जिह्वासे नामका जपकरें।
34:54
Roop Kumar
🌹श्रीरामकथा🙏 का "मुख्य उद्देश्य और उपयोग"।
30:06
Roop Kumar
अहंकार को तोड़ने की और मोह को उखाड़ने की आवश्यकता है।(1985-इलाहाबाद)
47:03
Roop Kumar
वैराग्य का मुक्का लगने पर भी अगर मोह जीवित रह जाए तो वैराग्य किसी काम का नहीं।(1985-इलाहाबाद)
23:26