पृथ्वी हमारे जीवन के लिए सब आवश्यक संसाधन नि-स्वार्थ भाव से मुफ़्त उपलबद्ध कराती है। उसके ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो सकते। इसीलिए भारतीय परम्परा में ही नहीं अपितु सभी प्राचीन संस्कृतियों में पृथ्वी को माता का दरजा दिया गया।
पर, समय के साथ मानव जाति बढ़ती हुई शक्ति के घमंड से भरती चली गई और उसने इस सहृदय माँ के साथ बहुत दुर्व्यवहार किया जो अभी भी जारी है। चारो ओर छीन झपट का बोलबाला है। इको सिस्टम नष्ट प्राय है। इन ज़्यादतियों का फल हमें अपने चारों ओर फैली मार-काट, युद्ध की विभीषिका, असहिष्णुता, जलवायु परिवर्तन, तथा कोविड जैसी नई नई विनाशकारी महामारियों में दिख रहा है। परिस्थितियाँ मनुष्य के नियंत्रण से बाहर जा रही हैं। प्रकृति हमें कठोर दंड देने पर आमादा है। वह दिन दूर नहीं जब पीने के पानी के लिए युद्ध होने लगें।
ऐसे में पृथ्वी मां के साथ मन ही मन क्षमा का अभ्यास कर हम अपने दुष्कृत्यों का कुछ कुछ निवारण कर सकते हैं। पृथ्वी करुणामयी माँ है और अपनी संतानों को आसानी से क्षमा कर देगी। यहाँ ऐसे ही एक ऑनलाइन ध्यान सत्र की वीडियो रिकॉर्डिंग है। इस सत्र में लाइव भाग लेने वालों को शक्ति के सधन अनुभव हुए। आप सब भी इस सत्र का विडियो के माध्यम से आनन्द उठाएँ और अपने अनुभव साझा करें।
ब्रह्म प्रकाश गौड़
व्हॉटसैप: +91 887 901 0000
ईमेल: bpgaur1952@gmail.com
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