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नवरात्रि में ऐसे करे मंत्र जाप की आपकी सभी समस्याएं दूर होंगी व सभी सपने होंगे साकार।

देवी के मंत्रों से पूरे होंगे सपने और दूर होंगी सारी परेशानियां




2020 में 17 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र का पहला नवरात्र है. नवरात्र में सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ के बराबर ही पुण्य देता है. वहीं बगलामुखी मंत्र जप से सभी प्रकार के शत्रु पर विजय मिलती है। नवरात्रि के नौ दिनों में अगर कोई साधक सच्चे मन से माता की आराधना करे तो उसके सभी दुःख दर्द का अंत माता रानी कर देती है।
आज हम माता बगलामुखी व सप्तश्लोकी के शक्तिशाली मंत्र का विवरण करेगें।
नवरात्रि के 9 दिनों में देवी के साधक महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की साधना विभिन्न रूपों में करते हैं. माता की कृपा पाने के लिए देवी की पूजा के कई तरह के विधि-विधान बताए गए हैं. इनमें जप-तप और व्रत आदि प्रमुख हैं. किसी भी मनोकामना को पूरा करने के लिए इष्टदेव अथवा इष्टदेवी के मंत्रों का भक्ति-भाव के साथ जाप करने पर उनकी शीघ्र ही कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कि देवी के किन मंत्रों का जाप करने से कौन सी परेशानी दूर और कौन सी कामना शीघ्र ही पूरी होती है.



बगलामुखी साधना।
यदि आप अपने जीवन में तमाम तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष शत्रुओं और बाधाओं से परेशान हैं तो आपके लिए नवरात्र में बगलामुखी साधना एक अत्यंत ही सटीक उपाय है. किसी भी प्रकार की बाधा या शत्रु का नाश करने वाली यह साधना किसी योग्य साधक के निर्देशन में पूरे विधि-विधान से की जानी चाहिए. मां बगलामुखी के मंत्रों का जाप करने से किसी भी वाद-विवाद में विजय और ​कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. राजनीति में सफलता पाने के लिए अक्सर राजनेता इस साधना को देश के तमाम शक्तिपीठ पर करवाते नजर आते हैं। माता बगलामुखी की आराधना से नौकरी, कोर्ट कचहरी, शत्रु नाश इत्यादि सभी समस्याओं का समाधान होता है। माता अपने भक्त की हर समस्या दूर करती है।
देवी की कृपा पाने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें-


बगलामुखी मंत्र

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय
जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।।



सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ

यदि आपके पास समय की कमी रहती है और आप नवरात्र में घर या मंदिर में बैठकर बहुत देर तक साधना नहीं कर सकते हैं तो आपके लिए सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ सबसे उत्तम उपाय है. इसका पाठ करने से आपको संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के समान ही लाभ प्राप्त होता है. नवरात्र में सप्तश्लोकी दुर्गा का 108 बार पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.




श्री सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ

शिव उवाच:
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी।
कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्रतः॥

देव्युवाच:
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्‌।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥


विनियोग :

ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः अनुष्टप्‌ छन्दः, श्रीमह्मकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः।



ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तुते॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तुते॥
रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति॥





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