क्या आप जानते हैं आपकी कुंडली में 9 प्रकार के होते हैं प्रमुख दोष dyall.in/ASTROMAHAKALUJJAIN
astromahakal.com/ ✍🏻वैसे हर एक व्यक्ति की कुंडली में कई प्रकार के दोष एवं कई प्रकार के गुण भी होते हैं यहां हम आपसे कुंडली में प्रमुख 9 प्रकार के दोषों के बारे में चर्चा करेंगे।
शनि दोष
कुंडली में शनि दोष को बहुत ही अशुभ दोष माना जाता है शनि दोष होने पर व्यक्ति को समाज में अपमान होना पड़ता है। शनि दोष होने पर अपयश, नौकरी और व्यापार में नुकसान उठाना पड़ता है।
मांगलिक दोष जय महा मंगल
Jay Maha mangal
क्या है मंगल दोष ?
यदि जातक के जन्म पत्रिका में मंगल ग्रह लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, या द्वादश भाव में स्थित होता है, उसे ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष माना गया है।
ऐसे में उसके भावी जीवन साथी के जन्म चक्र (जन्म कुंडली) में उसके अनुरूप ग्रह नहीं हों, और उसका विवाह उससे कर दिया जाए तो जातक (वर) की मृत्यु भी हो सकती है। मंगल दोष दरअसल दांपत्य सुख को क्षीण कर देता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगलदोष के निवारण के लिए जो कन्या या वर मांगलिक योग से प्रभावित हों उनका विवाह भी मंगलदोष वाल जातक (वर-वधू) के साथ ही करना चाहिए।
मंगल दोष का निवारण : मंगल दोष के निवारण के लिए आप मंगल भात पूजन करा सकते है। जो की उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर पर होती है ।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
आचार्य जी उज्जैन 9660811987
#mangalnathmandir #mangalnath #ujjain #mangaldosh #mangaldoshniwaran #mangalnathtemple #mangalnathujjain #mangalnath #kalsarpdosh #mangalnathmandirujjain
जब कुंडली में लग्न भाव, चौथे भाव,सातवें भाव, आठवें और द्वादश भाव में मंगल स्थित होता है तब कुंडली में मंगल दोष बनता है। मंगल दोष से व्यक्ति को विवाह संबंधी परेशानियां, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
कालसर्प दोष
राहु-केतु के कारण कालसर्प दोष बनता है। कुंडली में कालसर्प दोष बनने पर जातक को संतान और धन संबंधी परेशानियां आने लगती है और जीवन में उतार-चढ़ाव आता है।
प्रेत दोष
कुंडली में प्रथम भाव में चन्द्र के साथ राहु की युति होने पर एवं पंचम और नवम भाव में कोई क्रूर ग्रह स्थित हो तो उस जातक पर भूत-प्रेत, पिशाच या बुरी आत्माओं का प्रभाव रहता है।
पितृदोष
कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब सूर्य, चन्द्र, राहु या शनि में दो कोई दो एक ही घर में मौजूद हो। पितृदोष होने पर संतान से संबंधी तमाम तरह की परेशानी आती है। मान्यता के अनुसार पितरों का दाह-संकार सही ढ़ग से ना होने पर पितर नाराज रहते हैं जिसके कारण जातक को परेशानी झेलनी पड़ती है
चाण्डाल दोष
जातक की कुंडली में गुरु-राहू की युति होने पर चाण्डाल दोष का निर्णाण होता है। यह दोष होने पर व्यक्ति बुरी संगत का शिकार होने लगता है।
ग्रहण दोष :
यह दोष तब बनता है जब सूर्य या चन्द्रमा की युति राहु या केतु से होता है। ग्रहण दोष होने पर व्यक्ति को हमेशा डर बना रहता है। इस दोष से ग्रसित व्यक्ति हमेशा अपने काम को अधूरा छोड़ देता है फिर नए काम के बारे में सोचने लगता है।
अमावस्या दोष
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को कुंडली बनाते समय बहुत ध्यान दिया जाता है। चन्द्रमा को मन का कारक माना जाता है। सूर्य और चन्द्रमा जब दोनों एक ही घर मे होते है तो अमावस्या दोष बनता है। कुंडली में यह दोष बनने पर उस जातक की कुंडली में चन्द्रमा क्षीण और प्रभावहीन रहता है। अमावस्या दोष होने पर व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
केमद्रुम दोष
यह दोष चंद्रमा से संबंधित होता है। जब चंद्रमा आपकी कुंडली के जिस घर में हो तो उसके आगे और पीछे के घर में कोई ग्रह ना हो तब ये दोष बनता है!
*"ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र, वैदिक अनुष्ठान व समस्त धार्मिक कार्यो के लिए संपर्क करें: astromahakalujjain
966081198
コメント